15 दिनों से अपनी मांगों के समर्थन में धरने पर बैठे दिव्यांगों को पुलिस ने हटाया

रेलवे के ग्रुप डी के पदों पर नियुक्ति की मांग पर पिछले 15 दिनों से मंडी हाउस चौराहे पर डटे दिव्यांगों को बुधवार को पुलिस की सख्ती का सामना करना पड़ा। पुलिस के मुताबिक चौराहे के भगवान दास रोड पर धरने पर बैठे दिव्यांग जब आसपास की सड़कों की तरफ बढ़ने लगे तो उन्हें रोका गया लेकिन वह नहीं माने तो उन्हें वहां से हटाया गया। दिव्यांगों को धरनास्थल से हटाने के बाद उन्हें हिरासत में लेकर बसों में बिठाकर आनंद विहार, नई दिल्ली सहित अन्य क्षेत्रों में छोड़ा गया। धरने पर बैठे दिव्यांगों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें जबरन वहां से हटाया, इस दौरान कुछ दिव्यांगों को चोटें भी आईं। उन्होंने कहा कि अपने हक के लिए आवाज उठाने वाले दिव्यांगों की बात सुनने के बजाय उनसे जबरदस्ती की गई। इस मामले पर बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है। दिव्यांगों के धरने पर बैठने की वजह से रोजाना लाखों वाहन चालकों को रूट डायवर्जन के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।


दिव्यांगों ने जबरदस्ती करने के लगाया आरोप
दिव्यांगों का आरोप है कि उन्हें हटाने के दौरान उनका जरूरी सामान भी हटा दिया गया, उसमें से काफी सामान वहीं छूट गया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें को बसों में बिठाकर दूर दराज के क्षेत्रों में छोड़ दिया। दिव्यांगों का यह भी आरोप है कि पुलिस ने उन्हें नई दिल्ली और आनंद विहार सहित दूर दराज के इलाकों में छोड़ दिया ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सके। रेलवे में नियुक्ति न होने के कारण दिव्यांगों का रोष लगातार बढ़ता जा रहा है।
मांगों के समर्थन में 15 दिनों से बैठे हैं धरने पर
नियुक्ति की मांग पर अड़े दिव्यांग 26 नवंबर से धरने पर बैठे हैं। कई बार उन्हें मंडी हाउस से हटने का पुलिस ने आग्रह किया लेकिन अपनी मांगों पर सुनवाई होने तक दिव्यांगों ने धरनास्थल छोड़ने से इंकार किया। इससे पहले अक्तूबर में भी अपनी मांगों के समर्थन में देश भर में रेलवे बोर्ड के अलग अलग जोन के दिव्यांग उम्मीदवारों ने विरोध दर्ज करवाया था। मांगों पर सुनवाई न होने पर दिव्यांगों ने भूख हड़ताल भी शुरू कर दी थी।