गोपीचंद ने किताब में लिखा- यह कुछ इस तरह का था कि मेरे किसी करीबी को मुझसे दूर कर दिया गया हो। पहले मैंने साइना से नहीं जाने के लिए मिन्नतें की थी। लेकिन तब तक वह किसी और के प्रभाव में आकर अपना मन बना चुकी थीं। मैं उसकी तरक्की नहीं रोकना चाहता था। इसलिए उसे नहीं रोका। यह हम दोनों में से किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं होता।
तब ऐसी अफवाहें भी चल रही थीं कि साइना इस बात से खफा हैं कि गोपीचंद उनसे ज्यादा पीवी सिंधु पर ध्यान दे रहे हैं। गोपीचंद ने किताब में इस पर लिखा- हां, मेरे पास अन्य खिलाड़ी भी थे और सिंधु के खेल में 2012 और 2014 के बीच काफी सुधार हुआ था। लेकिन मेरी कभी भी साइना की अनदेखी करने की नहीं इच्छा नहीं रही। शायद मैं यह बात उन्हें समझा नहीं सका। लेकिन मुझे इससे ज्यादा दुख प्रकाश पादुकोण, कोच विमल कुमार और ओलिंपिक गोल्ड क्वेस्ट के पदाधिकारी वीरेन रस्कीना की भूमिका को सोचकर हुआ।
मुझे लगता है कि विमल कुमार और प्रकाश पादुकोण सर को इस मामले में साइना से बात करनी थी।लेकिन मैं नहीं जानता कि उन्होंने क्यों साइना से बात नहीं की। उलटे इन सभी ने उसे (साइना) हैदराबाद छोड़ने के लिए उकसाया। मेरे लिए आज भी यह रहस्य है कि आखिर क्यों प्रकाश सर ने कभी मेरे बारे में कुछ अच्छा नहीं बोला, जबकि मैं हमेशा से उन्हें अपना रोल मॉडल मानता था।