जब राजा रतन सिंह के सामने खिलजी के कदम गए थे डगमगा

अपनी क्रूरता और बर्बरता के लिए मशहूर अलाउद्दीन खिलजी एक सिरे से सभी युद्ध जीतता जा रहा था. उसने रणथम्भौर पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के बाद चित्तौड़ के किले को अपना निशाना बनाया.


हालांकि, उसने यह किला भी अपने आधीन कर लिया लेकिन, इसे जीतने के लिए उसे बहुत ही करारी टक्कर का सामना करना पड़ा था. लगातार आठ महीने की कोशिश के बाद वह महल के अंदर प्रवेश कर पाया था.


राजा रत्न सिंह की सेना बरसात के मौसम में भी लगातार संघर्ष करते हुए आधी पहाड़ी तक पहुँच चुकी थी. जिससे डर के खिलजी ने अपनी सेना को पत्थरबाजी करके उन्हें पीछे हटने की योजना बनायी.


खिलजी के पास आधुनिक हथियार और राजा रत्नसिंह से भारी मात्रा में सेना होने के बावजूद भी उसे महल में प्रवेश करने में महीनों लग गए थे.