सिख शासन की शुरुवात करने वाले महाराजा रणजीत सिंह ने 19वीं सदी में अपना शासन शुरू किया. उनका शासन पंजाब प्रान्त में फैला हुआ था और उन्होने दल खालसा नामक एक संगठन का नेतृत्व किया. उन्होने छोटे गुटों में बंटे हुए सिखों को एकत्रित किया और उनके बाद उनके पुत्र खड़ग सिंह ने सिख शासन की कमान संभाली.
महाराजा रणजीत सिंह ने मिसलदार के रूप में अपना लोहा मनवा लिया था और दूसरे मिसलदारों को हरा कर अपना राज्य बढ़ाना शुरू कर दिया था.
पंजाब क्षेत्र के सभी इलाकों में उनका कब्ज़ा था पूर्व में अंग्रजों के और पश्चिम में दुर्रानी के राज्य के बीच में उनका राज्य था. रंजित सिंग जी ने पुरे पंजाब को एक किया और सिख राज्य की स्थापना की.
महाराजा रणजीत ने अफगानों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं और पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर अधिकार कर लिया. ऐसा पहली बार हुआ था कि पश्तूनो पर किसी गैर मुस्लिम ने राज किया हो.
उसके बाद उन्होंने पेशावर, जम्मू कश्मीर और आनंदपुर पर भी अधिकार कर लिया. ब्रिटिश इतिहासकार जे टी व्हीलर के अनुसार, अगर वे एक पीढ़ी पुराने होते, तो पूरे भारत को जीत लेते.